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फ़रवरी, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रात गुज़र जाएगी

मेहरबानियां उनकी इसकदर हैं मुझपर, गिनने बैठूंगा तो रात गुज़र जाएगी ! रहने दो ख़ामोश लबों को, असर होने दो दुवाओं का; जख्म की नुमाइश में बात गुज़र जाएगी ! सितमगर तेरा हरेक सितम, मेहरबानी से बढ़कर है मेरे लिए; ठहर गया जो लम्हा, सौगात गुज़र जाएगी! तड़प उठता है ज़िगर इक याद पे, सब्र कर लेता हूँ ये सोंचकर; छूली जो तस्वीर तेरी, ऐतिहात गुज़र जाएगी!